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भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान को जेट्रोफा बायो-फ्यूल उपयोग करने की मंजूरी दी गई

IAF’s AN-32 Aircraft Certified to Operate on Indigenous Bio-Jet Fuel


भारतीय वायुसेना के दुर्जेय विमान, जो कि रूस निर्मित एएन-32 विमान है, को 26 मई 2019 को मिश्रित विमानन ईंधन से संचालित करने के लिए औपचारिक रूप से प्रमाणित किया गया। इस मंजूरी के बाद भारतीय वायुसेना के इस विमान में प्रयोग किये जाने वाले मिश्रित ईंधन में 10 प्रतिशत तक स्वदेशी बायो-जेट ईंधन का उपयोग किया जा सकेगा।

भारतीय वायुसेना की ओर से एयर कमोडोर संजीव घुरटिया, वीएसएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग, 3 बीआरडी, वायुसेना ने विमान-इंजन परीक्षण केन्द्र, चंडीगढ़ में सीईएमआईएलएसी के मुख्य कार्यकारी पी. जयपाल से अनुमोदन प्रमाण पत्र प्राप्त किया।


2013 में हुआ था पहला परीक्षण

सीएसआईआर-आईआईपी प्रयोगशाला, देहरादून द्वारा वर्ष 2013 में पहली बार स्वदेशी बायो-जेट ईंधन का उत्पादन किया गया था। उस समय व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए इस ईंधन का परीक्षण नहीं हो सका था क्योंकि विमानन क्षेत्र में परीक्षण सुविधाओं का आभाव था।

वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ, पीवीएसएमएवीएसएम वाईएसएम वीएम एडीसी ने 27 जुलाई 2018 को स्वदेशी ईंधन के परीक्षण व प्रमाणन के लिए अपने संसाधनों के उपयोग की स्वीकृति देने से संबंधित घोषणा की थी. इसके बाद वायुसेना के विमान-परीक्षण दल और इंजीनियरों ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इस ईंधन का मूल्यांकन किया है। “मेक इन इंडिया” मिशन के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।


जेट्रोफा फ्यूल के बारे में

जेट्रोफा नामक पौधे से तैयार होने वाले लेट को जेट्रोफा फ्यूल कहा जाता है। इसके व्यावसायिक महत्व के बारे में अनभिज्ञता होने के कारण भारत में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा था। पिछले कुछ वर्षों से इसका उपयोग बायोडीजल के रूप में होने के कारण यह डीज़ल, केरोसिन तथा अन्य जलावन के विकल्प के रूप में उभरा है।

भारत में भी जेट्रोफा का उपयोग किया जा चुका है जिसमें भारतीय रेल दिल्ली से अमृतसर के बीच जेट्रोफा बायोडीजल से चलाई जा चुकी है। पिछले वर्ष स्पाइसजेट ने भी जेट्रोफा तेल से देश में पहला बायो-फ्यूल विमान उड़ाया था। चूंकि यह पौधा बंजर और ऊसर जमीन पर उग सकता है इसलिए देश में इसकी उपयोगिता बढ़ी है।

जेट्रोफा इसके बीज में पाए गए तेल को उच्च गुणवत्ता वाले डीजल ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है। चूंकि जेट्रोफा अखाद्य है इसलिए इसका ईंधन में ही मुख्यतः उपयोग हो सकता है। इसके अलावा सूखे का सामना करने की क्षमता होना, स्वाभाविक रूप से कीट-खरपतवार से लड़ने की क्षमता और एवरेज क्वालिटी की मिट्टी में उग जाना इसे बायो फ्यूल की दुनिया का गेम-चेंजर बनाता है। भारत में खेती के लिए उपलब्ध जमीन में से 20% से अधिक जमीन को उपर्युक्त मानकों के हिसाब से ‘जट्रोफा आरक्षित’ जमीन कहा जा सकता है।


पृष्ठभूमि

भारतीय वायुसेना को यह अनुमति पिछले एक वर्ष में किये गये विभिन्न परीक्षणों के बाद मिली है। वायुसेना ने हरित विमानन ईंधन के लिए कई परीक्षण किये हैं। इन परीक्षणों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखा गया है। मौजूदा अनुमोदन से स्वदेशी बायो-जेट ईंधन के उपयोग के लिए किए गये विभिन्न परीक्षणों को स्वीकृति मिली है। यह ईंधन जेट्रोफा तेल से बना है जिसे छत्तीसगढ़ बायोडजल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने तैयार किया और फिर इसे सीएसआईआर-आईआईपी, देहरादून में प्रसंस्कृत किया गया है।