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हेलीकॉप्टर मनी क्या होता है

what is helicopter money or monetary helicopters policy



कल्पना कीजिए कि कोरोना वायरस की वजह से आप घर में क्वारंटीन में हो और अचानक आपको बालकनी से दिखे कि एक हेलिकॉप्टर से नोट बरसाये जा रहे हों। अर्थशास्त्री इस काल्पनिक स्थिति को 'हेलिकॉप्टर मनी' या 'मॉनेट्री हेलिकॉप्टर' भी कहते हैं। आप जानते हैं, इसका क्या मतलब होता है?

गहराते आर्थिक संकट के बीच जब लोगों को इस उम्मीद से मुफ्त में पैसे बांटे जाते हैं कि इससे उनका खर्च और उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था सुधरेगी। यही 'हेलिकॉप्टर मनी' है। पहली नजर में भले ही ये लगे कि महामारी के बीच लोगों को बचाने के लिए सरकार की तरफ से उन्हें वित्तीय सहायता देना भी तो यही है लेकिन दरअसल ऐसा नहीं है।


हेलीकॉप्टर मनी क्या होता है? 
(What is Helicopter Money)

Helicopter Money शब्द को अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने 1969 में दिया था इसका मतलब होता है रिजर्व बैंक रुपये को प्रिंट करना और सीधे सरकार को दे देना ताकि वह जनता में बाँट दे जिससे लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकें। जैसा कि कल्पना की गई थी कि पैसा आसमान से बरस रहा है।

यह प्रतीकात्मक रूप से हेलीकाप्टर से पैसा बरसाने जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रत्याशित धन की उम्मीद नहीं थी और उनके खाते में सीधे आ गया है जैसे आसमान से गिरा हो। Helicopter Money का उपयोग किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी से बाहर निकालने के इरादे से किया जाता है या फिर मंदी को टालने के लिए भी किया जा सकता है


जब आर्थिक संकट चरम पर हो

अर्थशास्त्र के सिद्धांत ये कहते हैं कि जब आर्थिक संकट अपने चरम पर पहुंच जाए तो ये आखिरी विकल्प होता है। लेकिन अतीत में जब भी कभी 'हेलिकॉप्टर मनी' के विकल्प का सहारा लिया गया है, इसके बेहद खराब नतीजे सामने आए हैं।

'हेलिकॉप्टर मनी' का जिक्र करते हुए हमारे मन में पहली तस्वीर जिम्बॉब्वे और वेनेजुएला की आती है, जहाँ इस कदर बेहिसाब नोट छापे गए कि उनकी कीमत कौड़ियों के बराबर भी नहीं रह गई। डॉलर और यूरो को अपनाने वाले विकसित देशों में केंद्रीय बैंक के नोट छापने का ख्याल भी पागलपन भरे एक बुरे सपने की तरह है।

लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि हमारे सामने कोरोना वायरस महामारी का संकट है और 'हेलिकॉप्टर मनी' का विचार कुछ विशेषज्ञों की तरफ से सामने आया है। अगर हालात कुछ और होते तो शायद ही इसके बारे में कोई बात करता।


आग से खेलने जैसा

हर कोई ये जानता है कि 'हेलिकॉप्टर मनी' एक खतरनाक आइडिया है और इस पर अमल करना आग से खेलने जैसा है। स्पेन में एक बिजनेस स्कूल में फिनांशियल स्टडी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर मैनुअल रोमेरा कहते हैं, "हेलिकॉप्टर मनी की पॉलिसी कभी लागू नहीं की गई क्योंकि इसमें बहुत जोखिम था। केंद्रीय बैंकों को इससे डर लगता है।"

"दिक्कत ये है कि जब आप अर्थव्यवस्था में पैसा झोंकते हैं तो लोगों का उस पैसे पर से यकीन उठ जाता है और इसका नतीजा हायपरइन्फ्लेशन यानी बेलगाम मुद्रास्फिति के रूप में हमारे सामने आता है।" कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए क्या ये पैसा लुटाने का सही समय नहीं है?

मैनुअल रोमेरा कहते हैं, "मैं नहीं जानता कि इन हालात में मैं क्या करता? अगर कोरोना वायरस का महीने भर में कोई इलाज सामने आ जाए तो ये गलत फैसला होगा। और नहीं तो मई के आखिर तक हम सड़क पर आ जाएंगे। अगर ये महामारी कुछ महीनों तक बनी रही तो इसका सहारा लिया जा सकता है।"


'हेलिकॉप्टर मनी' की पॉलिसी

'हेलिकॉप्टर मनी' पर अभी जो बहस चल रही है, उसके और भी मायने हैं। मिल्टन फ्रीडमैन का ख्याल भले ही ये था कि केंद्रीय बैंक नोट छापे और सरकार उसे खर्च कर दें। कुछ अर्थशास्त्री ये मानते हैं कि 'हेलिकॉप्टर मनी' की पॉलिसी को और लचीला बनाया जा सकता है।

हालांकि ये केंद्रीय बैंकों की जिम्मेदारी होती है कि आपातकालीन खर्चे के लिए वो पैसों का इंतजाम करे लेकिन सिस्टम में तरलता के प्रवाह को बढ़ाने (पैसे की कमी को दूर करने) के लिए और भी रास्ते हैं, जिन्हें अपनाया जा सकता है, भले ही वो थोड़े जटिल किस्म के हों।

कुछ लोग तो ये भी मानते हैं कि यूरोप और अमेरिका में आर्थिक सुस्ती के प्रभाव को कम करने के लिए हाल में जो कदम उठाये गए हैं, वो भी एक तरह से 'हेलिकॉप्टर मनी' का ही उदाहरण कहे जा सकते हैं क्योंकि टैक्स में रियायत देने का मकसद यही होता है कि लोग ज्यादा खर्च करें।

ये सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप 'हेलिकॉप्टर मनी' के विचार में क्या संभावनाएं देखते हैं और इसमें कितने लचीलेपन की गुंजाइश तलाशते हैं।


'यही वक्त है'

और अब जब कि अमेरिका कोरोना वायरस महामारी का केंद्र बन गया है तो 'हेलिकॉप्टर मनी' की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है। अमेरिका में बेरोजगारी दर के 20 से 40 फीसदी रहने की आशंका व्यक्त की गई है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर विलेम बुइटर कहते हैं, "ऐसा करने का यही वक्त है।"

"कोरोना वायरस की महामारी से जो आर्थिक नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई के लिए कदम उठाए जाएंगे। हम शायद ये देखें कि हेलिकॉप्टर मनी से सरकारें अपने असाधारण घाटे की भरपाई कर सकेंगी।"

सेंटर फॉर रिसर्च इन इंटरनेशनल इकॉनॉमिक्स के अर्थशास्त्री जोर्डी गली उन लोगों में से हैं जो ये मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े कदम उठाए जाने चाहिए।

जोर्डी गली कहते हैं, "मॉनेट्री हेलिकॉप्टर लॉन्च करने का समय आ गया है।" जोर्डी इसे महामारी के बीच आपातकालीन कदम के तौर पर देखते हैं। वे कहते हैं कि केंद्रीय बैंकों के ऐसा करने से उन्हें बदले में कुछ हासिल नहीं होगा।

जानकार इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया भर में छाई आर्थिक सुस्ती और गहराएगी और बेरोजगारी अपने चरम पर होगी। गरीबी और मायूसी से जूझ रही सरकारों के पास मौजूद सभी विकल्पों को अपनाने के अलावा कोई और चारा न होगा।


क्या हेलीकॉप्टर मनी मात्रात्मक सहजता के समान है? 

हेलिकॉप्टर मनी के तहत देश का सेंट्रल बैंक पहले बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है और सरकार आगे इसे लोगों के ऊपर खर्च कर देती है हेलिकॉप्टर मनी के तहत दिया गया पैसा सरकार को सेंट्रल बैंक को रिफंड नहीं करना पड़ता है जबकि क्वांटिटेटिव ईजिंग के तहत भी सेंट्रल बैंक नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है लेकिन सेंट्रल बैंक, सरकारी बॉन्ड खरीदता है तभी सरकार को पैसे देता है बाद में सेंट्रल गवर्नमेंट को ये बांड्स वापस खरीदकर रिजर्व बैंक को पैसा लौटाना पड़ता है


क्या हेलिकॉप्टर मनी देश हित में है? 

हेलिकॉप्टर मनी के कारण देश की इकॉनमी में रुपये के सप्लाई बढ़ती है जिसके कारण मुद्रा स्फीति बढती है अर्थात देश की मुद्रा की वैल्यू कम होती है यदि सरकार कोविड 19 से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था में करीब 11 लाख करोड़ रुपये छोड़ देती है तो एक बहुत बड़ी मात्रा में बाजार में मुद्रा की सप्लाई हो जाएगी जो कि आगे उन्ही गरीबों के लिए संकट पैदा करेगी जिनके लिए आज यह पैसा बाजार में उतारा जा रहा है

इसलिए Helicopter Money एक प्रकार से दुधारी तलवार है और सरकार को इसका इस्तेमाल ध्यान से करने की जरूरत है