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जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत और उनपर आधारित प्रश्न-उत्तर

Jean Piaget's theory of cognitive development and their questions

जीन पियाजे, स्विट्जरलैंड के निवासी थे। जीन पियाजे एक मनोवैज्ञानिक और आनुवंशिक एपिस्टेमोलॉजिस्ट थे। वह सबसे अधिक संज्ञानात्मक विकास के अपने सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध है जो इस बात पर ध्यान देता है कि बचपन के दौरान बच्चे बौद्धिक रूप से कैसे विकसित होते हैं।

पियाजे के सिद्धांत से पहले, बच्चों को अक्सर केवल मिनी-वयस्कों के रूप में सोचा जाता था। इसके बजाय, पियाजे ने सुझाव दिया कि जिस तरह से बच्चे सोचते हैं, वह उस तरह से अलग है, जिस तरह से वयस्क सोचते हैं।

उनके सिद्धांत का मनोविज्ञान के भीतर एक विशिष्ट उपक्षेत्र के रूप में विकासात्मक मनोविज्ञान के उद्भव पर जबरदस्त प्रभाव था और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया। उन्हें रचनावादी सिद्धांत के एक अग्रणी के रूप में भी श्रेय दिया जाता है, जो बताता है कि लोग अपने विचारों और अपने अनुभवों के बीच की बातचीत के आधार पर सक्रिय रूप से दुनिया के अपने ज्ञान का निर्माण करते हैं।

2002 के एक सर्वेक्षण में पियाजे को बीसवीं शताब्दी के दूसरे सबसे प्रभावशाली मनोवैज्ञानिक के रूप में स्थान दिया गया था।

💖 जीन पियाजे का जन्म : 1806

💖 जीन पियाजे का मृत्यु : 1980

💖 सर्वप्रथम संज्ञानात्मक पक्ष का क्रमबद्ध व वैज्ञानिक अध्ययन स्विट्जरलैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे के द्वारा किया गया।

💖 संज्ञान- प्राणी का वह व्यापक और स्थाई ज्ञान है जिससे वह वातावरण/ उद्दीपक जगत/  बाह्य जगत के माध्यम से ग्रहण करता है। 

💖 समस्या समाधान, समप्रत्ययीकरर्ण ( विचारों का निर्माण), प्रत्येकक्षण( देखकर सीखना) आदि मानसिक क्रियाएं सम्मिलित होती है। यह क्रियाएं परस्पर अंतर संबंधित होती हैं।

💖 जीन पियाजे का संज्ञानात्मक पक्ष पर बल देते हुए संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत का प्रतिपादन किया था इसीलिए जीन पियाजे को  विकासात्मक मनोविज्ञान का जनक कहा जाता है।

💖 विकासात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत शुरू से अंत तक अर्थात गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक का अध्ययन किया जाता है

💖 विकास प्रारंभ होता है – गर्भावस्था से

💖 संज्ञान विकास – शैशवअवस्था से प्रारंभ होकर जीवन पर्यंत चलता रहता है। 

💖 इन्होने अपने बच्चो और आस-पड़ोस के बच्चो पर संज्ञान / ज्ञानात्मक / मानसिक विकास का अध्ययन किया इस सिद्धांत को विकासात्मक सिद्धांत और अवस्था का सिद्धांत भी कहा जाता है.

💖 संज्ञान का अर्थ : आयु वृद्धि के साथ बालक बालिकाओं के द्वारा वातावरण से ज्ञान ग्रहण करने की प्राक्रिया संज्ञान कहलाती है  

💖 पियाजे का मानना है की जैसे-जैसे बच्चो में जैविक परिपक्वता (Biological Maturation) आती है वैसे-वैसे वह वस्तुओं के बारे में अपने दिमाग में Concept बना लेते है।

💖 जीन पियाजे की 1923 से 1932 के बीच पाँच पुस्तकों को प्रकाशित किया गया, इसमें संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया।


जीन पियाजे की प्रमुख पुस्तके -

📚 The Language and Thought of the Child

📚 The Psychology of The Child

📚 The Moral Judgment of the Child


जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की संकल्पाएँ-

Concept of Cognitive Development :

1. अनुकूलन (Adaptation)

2. साम्यधारण (Equilibrium)

3. स्कीम्स (Schemes)

4. स्कीमा (Schema)


1. अनुकूलन (Adaptation)

वातावरण के अनुसार अपने आप को ढालना अनुकूलन कहलाता है। इसकी दो प्रक्रिया होती है।

I. आत्मसात्करण (Assimilation) : पूर्व ज्ञान को नए ज्ञान के साथ जोड़ना आत्मसात्करण कहलाता है।

II. समायोजन (Accommodation) : पूर्व ज्ञान में परिवर्तन करके वातावरण के साथ तालमेल बिठाना समायोजन कहलाता है।


2. संतुलन / साम्यधारण (Equilibration) 

इसके द्वारा बच्चा आत्मसात्करण और समायोजन की प्रक्रियाओं के बीच संतुलन कायम करता है।


3. स्कीम्स (Schemes)

✬ व्यवहार की वह संगठित पैटर्न जिसे आसानी से दोहराया जा सके स्कीम्स कहलाती है 

✬ किसी काम को करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। 

eg: जब बच्चे को भूख लगती है तो वह रोता है क्योकि उसे पता है रोने से दूध मिलेगा।


4. स्कीमा (Schema)

बालाक बालिकाओ की मानसिक संरचना का व्यवहारगत परिवर्तन स्कीमा कहलाती है 

शरीर के द्वारा की जाने वाली क्रियाये (Activities) जो बुद्धि से जुड़ी रहती है।

eg: जैसे छोटा बच्चा ball पकड़ता है, ice cream चूसता है।


जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत को  चार अवस्थाओं में समझाया है। –

1.संवेदी पेशीय अवस्था / इंद्रिय जनित अवस्था – 0  से 2 वर्ष (Sensory Motor Stage)

💎 इस अवस्था में बालक को वातावरण की जानकारी नही होती जिसके कारण बच्चा इस अवस्था में अपनी ज्ञानेन्द्रियो के माध्यम से सीखता है।

💎 अतः संवेदी पेशीय अवस्था में बालक प्रत्येक वस्तु को स्पर्श करके / चखकर / सुनकर / देखकर वातावरण से ज्ञान ग्रहण करता है  

💎 छोटे छोटे शब्दों को  बोलने लगता है

💎 परिचितों का मुस्कान के साथ स्वागत करता है तथा आप परिचितों को देख कर भय का प्रदर्शन करता है

💎 इसमें वस्तुस्थायित्व (Object Permanence) का गुण आ जाता है। यानी बच्चा अपने दिमाग में वस्तुओं की छाप बनाना शुरू कर देता है जिससे वह छिपी हुई वस्तु को भी ढूंढ लेता है।

💎 इस अवस्था में बालक बालिकाओं में चिंतन का अभाव होता है

💎 इस अवस्था में बालको का व्यवहार मुलप्रवृति पर आधारित होता है


पियाजे के अनुसार यह एक बौद्धिक कार्य है। पियाजे ने संवेदी पेशीय अवस्था को छह अवस्थाओं में विभाजित किया है। जो इस प्रकार है -

1. प्रतिवर्त्त क्रियाएँ (Reflex Activities): जन्म से 1 माह तक की अवस्था

2. प्रमुख वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Primary Circular Reactions): 1 से 3 माह तक की अवस्था

3. गौण वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Secondary Circular Reactions): 4 से 6 माह तक की अवस्था

4. गौण प्रतिक्रियाओं का समन्वय (Co-ordination of Secondary Reactions): 7 से 10 माह तक की अवस्था

5. तृतीय वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Tertiary Circular Reactions) 11 से 18 माह तक की अवस्था

6. अन्तिम अवस्था (Final Stage of this period): लगभग 24 माह की अवस्था


2 . पूर्व सक्रियात्मक अवस्था :   2 से 7 वर्ष (Pre-Operational Stage)

💎 इस अवस्था में दूसरे के संपर्क में खिलौनों से अनुकरण के माध्यम से सीखता है

💎 खिलौनों की आयु इसी अवस्था को कहा जाता है

💎 शिशु, गिनती गिनना रंगों को पहचानना वस्तुओं को क्रम से रखना हल्के भारी का ज्ञान होना

💎 माता पिता की आज्ञा मानना, पूछने पर नाम बताना घर के छोटे छोटे कार्यों में मदद करना आदि सीख जाता है लेकिन वह तर्क वितर्क करने योग्य नहीं होता इसीलिए इसे आतार्किक चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है

💎 वस्तु स्थायित्व का भाव जागृत हो जाता है

💎 निर्जीव वस्तुओं में संजीव चिंतन करने लगता है इसे जीव वाद कहते हैं

💎 प्रतीकात्मक सोच पाई जाती है

💎 अनुकरण शीलता पाई जाती है

💎 शिशु अहम वादी होता है तथा दूसरों को कम महत्व देता है

💎 इस अवस्था में बालक गिनती व अक्षर लिखना सीख जाता है, जैसे- नाम पूछने पर नाम बताना, शारीर के अंगो के नाम बताना आदि

इसके भी कुछ उप-अंग है जो इस प्रकार है -

जीववाद (Animism) : जब बच्चा सजीव और निर्जीव वस्तुओं में अंतर नहीं कर पाता ।

अहंकेंद्रित (Egocentrism) : जब बच्चा यह सोचना शुरू कर देता है की जो वह कर रहा है सोच रहा है, वह सब ठीक है ।

अपलटावी (Irreversibility) : इसमें बच्चा वस्तुओ, संख्याओं, समस्या आदि को उलटना पलटना नहीं सीखता ।

उदाहरण:

3 + 7 = 10

7 + 3 = ?

💎 मुद्रा संप्रत्यय, दूरी, भार, ऊंचाई आदि के समझ की कमी इसी अवस्था में होती है।

केन्द्रीकरण (centration) : जब बच्चा किसी वस्तु की सारी विशेषताओं को छोड़कर केवल एक विशेषता पर ध्यान देते है।


3 . स्थूल / मूर्त संक्रियात्मक अवस्था: 7  से 12 वर्ष (Concrete Operational Stage)

💎 इस अवस्था में तार्किक चिंतन प्रारंभ हो जाता है लेकिन बालक का चिंतन केवल मुहूर्त प्रत्यक्ष वस्तुओं तक ही सीमित रहता है

💎 वह अपने सामने उपस्थित दो वस्तुओं के बीच तुलना करना, अंतर करना, समानता व असमानता बतलाना, सही गलत व उचित अनुचित में विविध करना आदि सीख जाता है

💎 इसीलिए इसे मूर्त चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है

💎 इस अवस्था में बालक दो वस्तुओ में समानता असमानता व तुलना करना सीख जाता है।

💎 बालक दिन, तारीख, समय, महीना, वर्ष आदि बताने योग्य हो जाता है

💎 इस अवस्था में अपलटावी, जीववाद, मुद्रा, भार आदि का गुण विकसित हो जाता है। 

💎 उत्क्रमणीय शीलता पाई जाती है इसीलिए इसे अपलावटी अवस्था के नाम से भी जाना जाता है

💎 भाषा एवं संप्रेषण योग्यता का विकास की अवस्था में हो जाता है

💎 मूर्त संक्रियात्मक अवस्था में बालक में संरक्षण (परिवर्तन) व विकेंद्रण (वस्तुनिष्ठ) की भावना का भी विकास हो जाता है।

आगमनात्मक तर्कणा (Inductive Reasoning) : जब बच्चा उदाहरण के ऊपर आधारित होकर तर्क करने लगता है। जैसे -बच्चे से ये पूछना की पेड़ जरुरी है या नहीं हमारे लिए ? बच्चा जवाब देगा हां, क्योकि इससे हमें ऑक्सीजन मिलती है।


4 औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था : 12  वर्ष के बाद (Formal Operational Stage)

💎 इस अवस्था में किशोर मूर्त के साथ साथ अमूर्त चिंतन करने योग्य भी हो जाता है और चिंतन में परिवक्वता आ जाती है। अतः कह सकते है कि बालको का मानसिक विकास पूर्ण रूप से हो जाता है।

💎 इसीलिए इसे तार्किक चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है

💎 इसी अवस्था में बच्चा अपनी पहचान बताना, अपनी प्रसंशा सुनना पसंद करने लगता है।

💎 इस अवस्था में परीकल्पनात्मक चिंतन पाया जाता है

आलोचनात्मक तर्कणा : इसमें बच्चा तर्क - वितर्क करने लगता है।

निगमनात्मक तर्कणा : इसमें बच्चा नियमों के ऊपर तर्क करने लगता है।

उदाहरण : गणित के प्रश्नों को अंतर बुद्धि में ही हल कर देते है। क्योंकि नियम का ज्ञान होता है।


जीन पियाजे के सिद्धांत पर आधारित संभावित प्रश्न-उत्तर

💖 प्रश्न. बच्चे अपनी समझ से विश्व की परिकल्पना करते हैं।” ये कथन किसने दिया था?

1. पैवलून

2. पियाजे

3. स्किनर

4. कोहलबर्ग

उत्तर : 2


💖 प्रश्न. बालकों की सोच अमूर्तता की अपेक्षा मूर्त अनुभवों एवं प्रत्ययों से होती है। यह अवस्था है –

1. 7 से 12 वर्ष तक

2. 12 से वयस्क तक

3. 2 से 7 वर्ष तक

4. जन्म से 2 वर्ष तक

उत्तर : 1


💖 प्रश्न. कोई 5 साल की लड़की एक टी-शर्ट को तह करते हुए अपने आप से बात करती है। लड़की द्वारा प्रदर्शित व्यवहार के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

1. जीन पियाजे और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के विचारों की अहंकेन्द्रित प्रकृति के रूप में करेंगे।

2. जीन पियाजे इसे अहंकेन्द्रित भाषा कहेगा और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के द्वारा निजी भाषा से अपनी क्रियाओं को नियमित करने के प्रयासों के रूप में करेगा।

3. जीन पियाजे इसकी व्याख्या सामाजिक अन्योन्यक्रिया के रूप में करेगा और लेव वाइगोत्स्की इसे खोजबीन मानेगा।

4. जीन पियाजे और लेव वाइगोत्स्की इसकी व्याख्या बच्चे के द्वारा अपनी माँ के अनुकरण के रूप में करेंगे।

उत्तर : 2


💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार, बच्चों का चिन्तन वयस्कों से…. में भिन्न होता है बजाय …… के।

1. मात्रा; प्रकार

2. आकार; मूर्तपरकता

3. प्रकार; मात्रा

4. आकार; किस्म

उत्तर : 3


💖 प्रश्न. संज्ञानात्मक विकास के चार चरणों संवेदी पेशीय, पूर्व संक्रियात्मक, स्थूल संक्रियात्मक और औपचारिक संक्रियात्मक की पहचान की गई है।

1. हिलगार्ड द्वारा

2. स्टॉट द्वारा

3. हारलॉक द्वारा

4. पियाजे द्वारा

उत्तर : 4


💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार विकास की पहली अवस्था (जन्म से लगभग 2 वर्ष आयु) के दौरान बच्चा – सबसे बेहतर सीखता है।

1. अमूर्त तरीके से चिन्तन द्वारा

2. भाषा के नए अर्जित ज्ञान के अनुप्रयोग द्वारा

3. इन्द्रियों के प्रयोग द्वारा

4. निष्क्रिय (neutral) शब्दों को समझने के द्वारा

उत्तर : 3


💖 प्रश्न. बच्चों के बौद्धिक विकास की चार विशिष्ट अवस्थाओं की पहचान की गई –

1. एरिकसन द्वारा

2. स्किनर द्वारा

3. पियाजे द्वारा

4. कोहलबर्ग द्वारा

उत्तर : 3


💖 प्रश्न.”बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते हैं।” इसका श्रेय …… को जाता है।

1. पैवलॉव

2. कोहलबर्ग

3. स्किनर

4. पियाजे

उत्तर : 4


💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सी अवस्था में बच्चा अमूर्त संकल्पनाओं के विषय में तार्किक चिन्तन करना आरम्भ करता है?

1. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (12 वर्ष एवं ऊपर)

2. संवेदी प्रेरक अवस्था (जन्म 02 वर्ष)

3. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (02-07 वर्ष)

4. मूर्त-संक्रियात्मक अवस्था (07-11 वर्ष)

उत्तर : 1


💖 प्रश्न. वह अवस्था जब बच्चा तार्किक रूप से वस्तुओं व घटनाओं के विषय में चिन्तन प्रारम्भ करता है, है –

1. औपचारिक-संक्रियात्मक

2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था अवस्था

3. मूर्त-संक्रियात्मक अवस्था

4. संवेदी-प्रेरक अवस्था

उत्तर : 3


💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास के किस चरण पर बच्चा ‘वस्तु स्थायित्व’ को प्रदर्शित करता है?

1. मूर्त संक्रियात्मक चरण

2. औपचारिक संक्रियात्मक चरण

3. संवेदी प्रेरक चरण

4. पूर्व-संक्रियात्मक चरण

उत्तर : 3


💖 प्रश्न. पियाजे के अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धान्त के अनुसार, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है……… कहलाती है।

1. प्रत्यक्षण

2. समावेशन

3. समायोजन

4. स्कीमा

उत्तर : 3


💖प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा निहितार्थ पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त से नहीं निकाला जा सकता?

1. बच्चों की अधिगमनात्मक तत्परता के प्रति संवदेनशीलता

2. वैयक्तिक भेदों की स्वीकृति

3. खोजपूर्ण अधिगम

4. शाब्दिक शिक्षण की आवश्यकता

उत्तर : 4


💖 प्रश्न. पियाजे के सिद्धान्त के अनुसार बच्चे निम्न में से किसके द्वारा सीखते हैं?

1. सही प्रकार से ध्यान लगाकर जानकारी को याद करना

2. समाज के आर्थिक योग्य सदस्यों के द्वारा उपलब्ध कराए गए सहारे के आधार पर

3. अनुकूलन की प्रक्रियाएँ

4. उपयुक्त पुरस्कार दिए जाने पर अपने व्यवहार में परिवर्तित करना

उत्तर : 3


💖 प्रश्न. ……के विचार से बच्चे सक्रिय ज्ञान-निर्माता तथा नन्हें वैज्ञानिक है, जो संसार के बारे में अपने सिद्धान्तों की रचना करते है।

1.स्किनर

2. युंग

3. पैवलॉव

4. पियाजे

उत्तर : 4


💖 प्रश्न. एक वंश वृक्ष पर रिश्तेदारों के बीच संबंधों को समझने के लिए, बच्चा किस कौशल का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए?

1. कालानुक्रम

2. डिकोडिंग

3. वर्गीकरण

4. मानसिक उत्क्रमण

Ans.1


💖 प्रश्न. जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास के अपने सिद्धांतों को विकसित और प्रस्तावित किया?

1. उत्तरकालीन 1700

2. प्रारंभिक-मध्य- 1800

3. उत्तरकालीन 1800

4. मध्यकालीन 1900

Ans.4


💖 प्रश्न. सोहन स्पर्श के माध्यम से अपने दादा-दादी के घर का पता लगाना पसंद करता है. एक दिन वह एक गर्म प्रेस को छू लेता है और उसका हाथ जल जाता है. सोहन को पता चलता है कि हालांकि कुछ वस्तुएं स्पर्श करने के लिए सुरक्षित हैं लेकिन गर्म प्रेस नहीं. पियाजे के अनुसार, यह एक उदाहरण है?

1. अनुकूलन

2. समायोजन 

3. नकारात्मक प्रबलन

4. सकारात्मक प्रबलन

Ans.2


💖 प्रश्न. पूजा से विभिन्न प्रकार के फूलों को वर्गीकृत करने के लिए कहा गया. वह उन्हें केवल एक मापदंड के आधार पर ऐसा कर पाती है, पूजा ने ऐसा किस वजह से किया?

1. अहम्-केन्द्रण

2. सेंट्रेशन

3. समायोजन

4. संक्रिया

Ans.2


💖 प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन एक संज्ञानात्मक स्कीमा का उदाहरण है?

1. रंग से छाँटना

2. खड़खड़ाहट करना

3. किसी वस्तु को देखना

4. शामक को चूसना

Ans.1


💖 प्रश्नजीन पियाजे के अनुसार, पहले ज्ञानेन्द्रिय उप-चरण के दौरान शिशुओं का व्यवहार होता है?

1. कर्मकर्त्ता

2. कु-अनुकूलित

3. अपरिवर्तनीय

4.  प्रबलित

Ans.1


💖 प्रश्न. जब रश्मि 5 महीने की थी, तो उसने एक खिलौने वाली ट्रेन को देखा, लेकिन जब ट्रेन उसकी आँखों से ओझल हो गई, तो उसने उसकी खोज नहीं की. अब जब वह 9 महीने की हो गई है, तो वह इसे ढूंढती है, यह किस विकास को दर्शाता है?

1. वस्तु स्थायित्व

2. आत्म विभेदीकरण

3. अनुकूलन

4. स्कीमाटा

Ans.(d)


💖 प्रश्न. जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास के अपने सिद्धांत को विकसित करने के लिए आंकड़े एकत्र किए?

1. संज्ञानात्मक विकास पर साहित्य समीक्षा करके

2. कई अभिभावकों के साथ चर्चा करके

3. अपने बच्चों को देखकर

4. प्रयोगशाला में बच्चों के साथ प्रयोग करके

Ans.3


💖 प्रश्न. फोन पर अपनी दादी से बात करते हुए, समर्थ अचानक चिल्लाता है, “ओह, उस खूबसूरत फूल को देखो!” जब उसकी दादी उसे फूल का वर्णन करने के लिए कहती है, तो समर्थ कहता है, “वहाँ बाहर! वहीं, दादी! ”आखिरकार वह निराश हो जाता है और फोन काट देता है. ये उदहारण है?

1. सेंट्रेशन

2. अहम्-केन्द्रण

3. सहज विचार

4. प्रतीकात्मक कार्य

Ans.2


💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार, मौजूदा योजनाओं में नई जानकारी को शामिल करने को कहा जाता है?

(a) संक्रियात्मक चिंतन

(b) संतुलन

(c) समायोजन

(d) अनुकूलन

Ans.(d)


CTET व अन्य राज्यों में जीन पियाजे के सिद्धांत पर आधारित आये प्रश्न व उनके उत्तर

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार, पहले ज्ञानेन्द्रिय उप-चरण के दौरान शिशुओं का व्यवहार होता है?

✔️ उत्तर. कर्मकर्त्ता

💖 प्रश्न. जीन पियाजे मुख्य रूप से किस के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं?

✔️ उत्तर. संज्ञानात्मक विकास

💖 प्रश्न. वह स्तर जिसमें बच्चा किसी वस्तु एवं घटना के बारे में तार्किक रूप में सोचना शुरु करता है कहा जाता है?

✔️ उत्तर. मूर्त क्रियात्मक अवस्था (7 से 11 वर्ष)

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार अधिगम के लिए क्या आवश्यक है ?

✔️ उत्तर. विद्यार्थियों के द्वारा पर्यावरण की सक्रिय खोजबीन 

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार नवीन जानकारी में संशोधन की प्रक्रिया को कहते हैं?

✔️ उत्तर. समावेशन

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास के किस अवस्था में बालक वस्तु को पहचानने की कोशिश करता है तथा जैविक क्रियाओं को अपनाता है?

✔️ उत्तर. संवेदनात्मक गामक अवस्था (शैशववस्था 0 से 2 वर्ष)

💖 प्रश्न. जीन पियाजे ने किस अवस्था को खोज की अवस्था कहा है ?

✔️ उत्तर. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2 से 7 वर्ष तक)

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार बच्चों का चिंतन वयस्कों की अपेक्षा कैसा होता है?

✔️ उत्तर. बच्चों का चिंतन वयस्कों से प्रकार मे भिन्न होता है बजाय मात्रा के

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार विकास को प्रभावित करने में किसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है?

✔️ उत्तर. भौतिक विश्व के साथ अनुभव

💖 प्रश्न. पियाजे के सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित नहीं करता है?

✔️ उत्तर. सामाजिक अनुभव

💖 प्रश्न. अमूर्त वैज्ञानिक चिंतन के लिए क्षमता का विकास किस अवस्था की एक विशेषता है?

✔️ उत्तर. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था

💖 प्रश्न. पियाजे के सिद्धांत के अनुसार बच्चा सीखता है?

✔️ उत्तर. अनुकूलन की प्रक्रिया द्वारा

💖 प्रश्न. पियाजे के संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत के अनुसार संवेदी क्रियात्मक अवस्था होती है?

✔️ उत्तर. जन्म से 2 वर्ष

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक बाल विकास की अवस्थाएं हैं ?

✔️ उत्तर. चार

💖 प्रश्न. जीन पियाजे एवं लेव वायगोस्की जैसे संरचनावादी अधिगम को किस रूप में देखते हैं?

✔️ उत्तर. सक्रिय विनियोजन से अर्थ -निर्माण की प्रक्रिया

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार विकास की पहली अवस्था के दौरान बच्चा …… सबसे बेहतर सीखता है

✔️ उत्तर. इंद्रियों के प्रयोग द्वारा

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार मुर्त संक्रियाओ का स्तर किस अवधि में घटित होता है

✔️ उत्तर. 7 से 11 वर्ष

💖 प्रश्न. किसी वस्तु के स्थायित्व की अवधारणा पियाजे के विकास के किस चरण में प्राप्त हो जाती है ?

✔️ उत्तर. संवेदी गामक के संदर्भ में

💖 प्रश्न. पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के चरणों के अनुसार इंद्रिय -गाम (संवेदी- प्रेरक) अवस्था किसके साथ संबंधित है

✔️ उत्तर. अनुकरण स्मृति और मानसिक निरूपण

💖 प्रश्न. पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत से निहितार्थ निकालते हुए ग्रेड 6 से 8 के शिक्षक को अपनी कक्षा में क्या करना चाहिए ?

✔️ उत्तर. ऐसी समस्याएं प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें तर्क आधारित समाधान की आवश्यकता होती है

💖 प्रश्न. किस अवस्था में सामाजिक खेल का विकास होता है –

✔️ उत्तर. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (7 से 11 वर्ष के बीच)

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार 2 से 7 वर्ष के बीच एक बच्चा संज्ञानात्मक विकास की किस अवस्था में है –

✔️ उत्तर. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार, मौजूदा योजनाओं में नई जानकारी को शामिल करने को कहा जाता है?

✔️ उत्तर. अनुकूलन

💖 प्रश्न. पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की द्वितीय अवस्था है ?

✔️ उत्तर. पूर्व संक्रिया की अवस्था 

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के अनुसार प्रस्तुत संरक्षण के प्रत्यय से तात्पर्य है कि –

✔️ उत्तर. कुछ भौतिक गुणधर्म वहीं रहते हैं चाहे बाहरी आकृतियां बदल जाए ।

💖 प्रश्न. जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत की “पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ” का आयु समूह है ?

✔️ उत्तर. 2 से 7 वर्ष

💖 प्रश्न. नई सूचनाओं को पूर्ववर्ती विद्यमान मानसिक संरचना व्यवस्थित करना” क्या कहलाता है?

✔️ उत्तर. आत्मसात करण

💖 प्रश्न. उत्तर बाल्यावस्था का काल क्या है?

✔️ उत्तर. 6 से 12 वर्ष