Election Commission bans release of PM Modi biopic (Author : R. Ranjan)
चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक के रिलीज पर 10 अप्रैल 2019 को रोक लगा दी है। यह फिल्म 11 अप्रैल 2019 को रिलीज होनी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि है कि जब तक लोकसभा चुनाव खत्म नहीं हो जाते, तब तक इस फिल्म पर रोक लगी रहेगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को 09 अप्रैल 2019 को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता की चिंता का हल करने के लिए उचित संस्था निर्वाचन आयोग है, क्योंकि यह एक संवैधानिक निकाय है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को यह तय करना है कि फिल्म आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है या नहीं।
चुनाव आयोग द्वारा जारी नोटिस के मुख्य बिंदु
➦ चुनाव आयोग ने मोदी बायोपिक सहित ऐसी किसी भी फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई है जिनका संबंध राजनीतिक है और वे चुनाव पर असर डाल सकती हैं।
➦ चुनाव आयोग ने इस बायॉपिक की स्क्रीनिंग पर चुनाव आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए रोक लगा दी है।
➦ आयोग ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी किसी फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती है जो किसी राजनीतिक दल या राजनेता के चुनावी हितों के उद्देश्य को पूरा करती हो।
➦ पीएम मोदी की बायोपिक पर सेक्शन 126 (1) रिप्रजेंटेटिव ऑफ द पिपल एक्ट के तहत रोक लगाई गई है।
➦ निर्वाचन आयोग के अनुसार, फिल्मों को किसी भी इलेक्टॉनिक, सोशल मीडिया या सिनेमा के दूसरे माध्यम पर प्रदर्शन करने से रोक लगाई गई है।
➦ चुनाव आयोग ने ये भी कहा है कि लोकसभा चुनावों के बीच जितनी भी बायोपिक रिलीज हो रही हैं, उनके लिए एक कमेटी बनेगी. रिव्यू के बाद ही ऐसी फिल्म रिलीज होंगी।
➦ चुनाव आयोग के आदेश के मुताबिक चुनावों के चलने तक पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक को रिलीज नहीं किया जा सकेगा।
आचार संहिता क्या है?
चुनाव की घोषणा के साथ ही 10 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू हो गया था। आचार संहिता चुनावों की घोषणा होते ही लागू कर दी जाती है। आचार संहिता चुनाव समिति द्वारा बनाया गया वो दिशानिर्देश होता है जिसे सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है। आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य पार्टियों के बीच मतभेद टालने, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। आचार संहिता द्वारा ये सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी, केंद्रीय या राज्य की अपने आधिकारिक पदों का चुनावों में लाभ हेतु गलत इस्तेमाल न करें। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। आचार संहिता लागू होते ही प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री जनता के लिए कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं। इस दौरान राज्य में न तो शिलान्यास किया जाता है न लोकार्पण और न ही भूमिपूजन किया जाता है।