Govt to launch ‘One Nation One Ration Card’, access to ration shop anywhere in the country
उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने राज्यसभा में घोषणा की है कि सरकार ‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना’ की दिशा में आगे बढ़ रही है। केन्द्रीय मंत्री के अनुसार यह योजना जल्द ही लागू की जाएगी।
सरकार द्वारा देश में खाद्य पदार्थों पर 1.45 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। इसके तहत गरीबों को 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जा रहा है। लेकिन सभी जरूरतमंद लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते सरकार ‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना’ लेकर आई है।
‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना’
➦ इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खाद्य मंत्रालय सभी कार्ड्स का एक केंद्रीय डेटाबेस तैयार करेगा। देश के मौजूद सभी राशन कार्ड्स का एक सेंट्रल डेटाबेस बनेगा जिससे सभी को एक ही स्थान से निर्देशित किया जा सकेगा।
➦ कोई भी राशन कार्ड धारक, जिसके पास भारत सरकार द्वारा जारी राशन कार्ड है, देश में किसी भी स्थान पर मौजूद राशन की दुकान से निर्धारित राशन ले सकेगा।
➦ राशन कार्ड धारक का डेटा पहले से ही सेंट्रल डेटाबेस के माध्यम से कंप्यूटर में दर्ज रहेगा इसलिए राशन कि दुकान पर वह उसे जितनी मात्रा निर्धारित की गई है उतना ही राशन ले सकेगा।
➦ सरकार का मानना है कि इस योजना से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगा। कुछ राज्यों ने तो इस योजना पर काम करना आरंभ भी कर दिया है।
➦ इससे ना केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा, बल्कि रोजगार या अन्य वजहों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले गरीबों को सब्सिडी वाले राशन से वंचित नहीं होना पड़ेगा। दूसरा, इससे एक से अधिक राशन कार्ड रखने की सम्भावना भी समाप्त हो जाएगी।
कुछ राज्यों में योजना पहले से लागू है
खाद्य मंत्रालय ने कहा कि IMPDS आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में पहले से लागू है, जहां कोई भी लाभार्थी अपने हिस्से का राशन किसी भी जिले से प्राप्त कर सकता है। केंद्र सरकार ने गरीबों के हित में इसे सभी राज्यों से लागू करने की अपील की है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लाभार्थी अगले 2 महीने में दोनों में से किसी राज्य में राशन उठाने की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। अभी एफसीआई, सीडब्ल्यूसी, एसडब्ल्यूसीएस और निजी गोदामों में रखे 6.12 करोड़ टन अनाज को हर साल 81 करोड़ लाभार्थियों को बांटा जा रहा है।