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चंद्र ग्रहण 2019:149 साल बाद बन रहा है यह दुर्लभ संयोग

Lunar Eclipse 2019 A special coincidence after 149 years

Lunar Eclipse 2019 A special coincidence after 149 years     इस बार गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर चंद्रग्रहण का असर देखने को मिलेगा, जो गुरु पूजन में बाधक रहेगा। साल 2019 का अंतिम चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई को लग रहा है। चंद्रग्रहण के समय खगोल वैज्ञानिकों के लिए यह जानने का बहुत ही अच्छा मौका होता है कि जब तेजी से चन्द्रमा की सतह ठंडी होगी तो उसके क्या परिणाम होंगे।     आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा पर पड़ने जा रहे इस चंद्रग्रहण को लेकर वैज्ञानिकों समेत इससे जुड़े शोधार्थियों और ज्योतिषविदों में खास उत्साह बना हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना के दौरान की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। चंद्र ग्रहण 16 जुलाई 2019 को देर रात 01 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा। यह आंशिक ग्रहण सबसे स्पष्ट रूप से सुबह 3:00 बजे नजर आएगा जब चंद्रमा का ज्यादातर हिस्सा ढक जाएगा। चंद्रमा पर यह आंशिक ग्रहण 17 जुलाई को सुबह 4:29 बजे तक रहेगा।      साल का अंतिम चंद्रग्रहण    ग्रहण की बात करे तो, साल 2019 में कुल पांच ग्रहण पड़ेंगे। इसमें तीन सूर्यग्रहण तथा दो चंद्रग्रहण शामिल हैं। साल का पहला सूर्यग्रहण 6 जनवरी और दूसरा सूर्यग्रहण 02 जुलाई को हो चुका है। साल का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को होगा। इसके अतिरिक्त साल का पहला चंद्रग्रहण 21 जनवरी को हो चुका है, जबकि अंतिम चंद्रग्रहण 16 जुलाई को हो रहा है।      आंशिक चंद्र ग्रहण क्या होता है?    आंशिक चंद्र ग्रहण उस समय होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्‍वी घूमते हुए आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। ऐसी परिस्तिथि में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं। चांद के बाकी सभी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र कहते हैं। इस दौरान चांद के एक बहुत बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है।      149 साल बाद बन रहा है यह दुर्लभ संयोग    इस बार चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ संयोग बना रहा है। जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को बना था। उस समय गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण साथ-साथ थे साथ ही शनि ग्रह, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में बैठे थे। इस बार भी ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही बन रही है।      किन-किन देशों में दिखेगा चंद्र ग्रहण?    यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण विश्व भर में एशिया, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के अधिकतर हिस्‍सों में दिखाई देगा।      भारत में किन-किन हिस्सों में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण?    पूरे भारत में यह चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है। लेकिन भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बिहार, असम, बंगाल और ओड़िसा में ग्रहण की अवधि में ही चंद्र अस्‍त हो जाएगा।      गुरु पूर्णिमा    आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस पूर्णिमा पर शिष्य गुरु की खास पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें तोहफे भेंट करते हैं। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। मौसम की दृष्टि से भी ये चार महीने सर्वश्रेष्ठ होते हैं। ये चार महीने में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी पड़ती है. इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।      अध्ययन में काफी हद तक आसानी    वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रग्रहण पृथ्वी के वायुमंडल में ध्रुवीकरण की प्रक्रिया को समझने में काफी मददगार होता है। इससे अन्य ग्रहों के वातावरण के अध्ययन में काफी हद तक आसानी होती है।      प्राकृतिक आपदाओं का खतरा    ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक ग्रहों की यह दशा तनाव बढ़ा सकती है। ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक इससे भूकंप, बाढ़ या तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बना हुआ है। इस ग्रहण का प्रभाव आम लोगों पर भी कुछ न कुछ पड़ता है।

इस बार गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर चंद्रग्रहण का असर देखने को मिलेगा, जो गुरु पूजन में बाधक रहेगा साल 2019 का अंतिम चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई को लग रहा है चंद्रग्रहण के समय खगोल वैज्ञानिकों के लिए यह जानने का बहुत ही अच्छा मौका होता है कि जब तेजी से चन्द्रमा की सतह ठंडी होगी तो उसके क्या परिणाम होंगे। 

आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा पर पड़ने जा रहे इस चंद्रग्रहण को लेकर वैज्ञानिकों समेत इससे जुड़े शोधार्थियों और ज्योतिषविदों में खास उत्साह बना हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना के दौरान की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। चंद्र ग्रहण 16 जुलाई 2019 को देर रात 01 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा यह आंशिक ग्रहण सबसे स्पष्ट रूप से सुबह 3:00 बजे नजर आएगा जब चंद्रमा का ज्यादातर हिस्सा ढक जाएगा। चंद्रमा पर यह आंशिक ग्रहण 17 जुलाई को सुबह 4:29 बजे तक रहेगा


साल का अंतिम चंद्रग्रहण

ग्रहण की बात करे तो, साल 2019 में कुल पांच ग्रहण पड़ेंगे इसमें तीन सूर्यग्रहण तथा दो चंद्रग्रहण शामिल हैं साल का पहला सूर्यग्रहण 6 जनवरी और दूसरा सूर्यग्रहण 02 जुलाई को हो चुका है साल का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को होगा इसके अतिरिक्त साल का पहला चंद्रग्रहण 21 जनवरी को हो चुका है, जबकि अंतिम चंद्रग्रहण 16 जुलाई को हो रहा है


आंशिक चंद्र ग्रहण क्या होता है?

आंशिक चंद्र ग्रहण उस समय होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्‍वी घूमते हुए आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते ऐसी परिस्तिथि में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं चांद के बाकी सभी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र कहते हैं। इस दौरान चांद के एक बहुत बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है


149 साल बाद बन रहा है यह दुर्लभ संयोग

इस बार चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ संयोग बना रहा है जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को बना था उस समय गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण साथ-साथ थे साथ ही शनि ग्रह, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में बैठे थे इस बार भी ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही बन रही है


किन-किन देशों में दिखेगा चंद्र ग्रहण?

यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा यह ग्रहण विश्व भर में एशिया, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के अधिकतर हिस्‍सों में दिखाई देगा


भारत में किन-किन हिस्सों में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण?

पूरे भारत में यह चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है लेकिन भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बिहार, असम, बंगाल और ओड़िसा में ग्रहण की अवधि में ही चंद्र अस्‍त हो जाएगा


गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं इस दिन गुरु पूजा का विधान है इस पूर्णिमा पर शिष्य गुरु की खास पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें तोहफे भेंट करते हैं गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। मौसम की दृष्टि से भी ये चार महीने सर्वश्रेष्ठ होते हैं ये चार महीने में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी पड़ती है. इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं


अध्ययन में काफी हद तक आसानी

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रग्रहण पृथ्वी के वायुमंडल में ध्रुवीकरण की प्रक्रिया को समझने में काफी मददगार होता है इससे अन्य ग्रहों के वातावरण के अध्ययन में काफी हद तक आसानी होती है


प्राकृतिक आपदाओं का खतरा

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक ग्रहों की यह दशा तनाव बढ़ा सकती है ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक इससे भूकंप, बाढ़ या तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बना हुआ है इस ग्रहण का प्रभाव आम लोगों पर भी कुछ न कुछ पड़ता है