Bhutan ends free entry for Indian tourists
भूटान (Bhutan) ने भारत से आने वाले पर्यटकों की नि:शुल्क प्रवेश (Free Entry) को खत्म कर दिया है। अब यहाँ आने वाले पर्यटकों को शुल्क का भुगतान करना होगा। भूटान की संसद ने इस संबंध में 04 फरवरी 2020 को एक विधेयक पारित किया है।
भूटान ने हाल ही में क्षेत्रीय पर्यटकों के लिए एक नई प्रणाली शुरू की है। इस प्रणाली को 'सतत विकास शुल्क' कहा गया है। यह शुल्क ना केवल भारत बल्कि मालदीव, बांग्लादेश के पर्यटकों को भी देना होगा। इस शुल्क को ‘सतत विकास शुल्क’ के तौर पर लिया जाएगा।
भूटान सरकार ने यह फैसला भूटान में तेजी से बढ़ते पर्यटकों की संख्या को देखते हुए नई पर्यटन नीति के तहत लिया है। यह फैसला भूटान सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु लिया गया है।
नई नीति के अनुसार शुल्क
नई नीति के अनुसार, भूटान सरकार ने यह फैसला लिया है कि भारत से आने वाले पर्यटकों को प्रतिदिन 1200 रुपए का शुल्क देना होगा। यह शुल्क जुलाई 2020 से लागू होगा। बांग्लादेश और मालदीव के पर्यटकों पर भी ये शुल्क लागू होगी।
भारत, मालदीव और बांग्लादेश से आने वाले बच्चों जिनकी उम्र पांच साल से कम है, उन्हें किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। जबकि 6 से 12 साल के बच्चों के लिए 600 रुपए का शुल्क देना होगा।
सतत विकास शुल्क: भूटान
सतत विकास शुल्क का मुख्य उद्देश्य पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना है। भूटान सरकार के अनुसार, इस शुल्क के जरिए क्षेत्रीय पर्यटकों को बेहतर अनुभव देने की कोशिश की जाएगी। भूटान की ओर से इस बात का भरोसा दिया गया है कि भारत से आने वाले पर्यटकों को इस नए नियम को लागू करते वक्त किसी भी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा। भूटान की अनूठी पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए एक निश्चित राशि की आवश्यकता होती है इसलिए सतत विकास शुल्क पेश किया गया है।
भूटान में क्षेत्रीय पर्यटन
भारत के ज्यादातर पर्यटक भूटान के पश्चिमी क्षेत्र की यात्रा पर जाते हैं। यहा काफी विकसित क्षेत्र है, जिसकी वजह से पर्यटक यहाँ आते हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल (साल 2018) भूटान जाने वाले पर्यटकों में 74 फीसदी पर्यटक क्षेत्रीय थे। पिछले साल भारत से लगभग 1,91,836 पर्यटक भूटान पहुँचने थे जो क्षेत्रीय पर्यटकों का 95 फीसदी है। भूटान जाने वालों में भारत के बाद 10,450 पर्यटकों के साथ बांग्लादेश दूसरे नंबर पर है।