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दुनिया के आठ अजूबे

Eight Wonders of the World in Hindi (Author: R. Ranjan)

जी हाँ अपने सही पढ़ा दुनिया के आठ अजूबे। 'दुनिया के सात अजूबे' हमेशा से हम इनके बारे में सुनते आए हैं। आपको बताते चलें की आठ देशों के अंतरराष्ट्रीय संगठन शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन SCO ने सरदार वल्लभभाई पटेल के स्मारक स्टैचू ऑफ यूनिटी को अपने आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल कर लिया है। बता दे की एससीओ के आठ सदस्यों में भारत, पाकिस्तान, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, रूस और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।

जी हाँ आपने सही पढ़ा दुनिया के आठ अजूबे। 'दुनिया के सात अजूबे' हमेशा से हम इनके बारे में सुनते आए हैं। यहाँ पर हम आपको बताते चलें की आठ देशों के अंतरराष्ट्रीय संगठन शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन SCO ने सरदार वल्लभभाई पटेल के स्मारक स्टैचू ऑफ यूनिटी को अपने आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल कर लिया है। एससीओ के आठ सदस्यों में भारत, पाकिस्तान, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, रूस और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। 

जानिए दुनिया के आठ अजूबे और उनके अजूबे बनने का कारण- 

ताजमहल


ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित है। इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने, अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। बेपनाह मोहब्बत की निशानी बताने वाला ताजमहल करीब 20 सालों में बनकर तैयार हुआ। यह शिल्पकला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। यही कारण है कि यह सात अजूबों में पहले स्थान पर है।

💗 ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित है।

💗 ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज (शाहजहां की तीसरी पत्नी) की याद में करवाया था। ताजमहल को प्यार का प्रतीक माना जाता है।

💗 ताजमहल मकबरे का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था और 1648 में पूर्ण हुआ। लेकिन ताजमहल परिसर का निर्माण 5 वर्ष बाद 1653 में पूरा हुआ।

💗 ताजमहल का अर्थ है “क्राउन पैलेस”। दुनिया यह में सबसे अच्छी तरह से संरक्षित और वास्तुशिल्प रूप से सुंदर मकबरा है।

💗 ताजमहल को 1983 में यूनेस्को विश्व विरासत के रूप में नामित किया गया था।

💗 मकबरा पूरी तरह से सफेद संगमरमर का है। तथा इसके एक तरफ यमुना नदी है और तीन तरफ लाल बलुआ पत्थर से इमारतों का निर्माण किया गया है।

💗 ताज एक आभूषण की तरह चमकता है। सुबह गुलाबी, शाम को दूधिया सफेद और चाँद की रोशनी में सुनहरा चमकता है।

💗 इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला का अनोखा मेलजोल है।

💗 मकबरे में शाहजहां तथा मुमताज की कब्र स्थित है। यह पर्यटकों को आकर्षित करने का मुख्य केन्द्र है।

💗 ताजमहल का सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया था तथा इसके निर्माण में करीब 22000 कारीगर, मजदूर लगे थे।

💗 शाहजहां, सम्राट, जो अपनी प्रेमिका की इच्छाओं को पूरा करता था, वह प्रिय रानी मुमताज महल के लिए शोक व्यक्त करने के लिए ब्लैक ताजबनाना चाहता था लेकिन मृत्यु होने के कारण अपनी इच्छा की पूर्ति नहीं कर पाया।


चिचेन इट्जा


चिचेन इट्जा या चिचेन इत्जा मेक्सिको में स्थित है। इस शहर को माया सभ्यता के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक माना जाता है। यहां कुकुल्कन के पिरामिड को अजूबे के रूप में शामिल किया गया है। बता दें कि कुकुल्कन/कुकुलकैन का पिरामिड है 79 फीट ऊंचा है। इसके चारों दिशाओं में 91 सीढ़ियां हैं। इसके अलावा इसकी हर सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक है और पिरामिड के ऊपर बना चबूतरा साल के 365वें दिन का प्रतीक है। यही कारण है कि सात अजूबों में इसे दूसरे नंबर पर रखा गया है।

💗 चिचेन इट्जा किसी इमारत का नाम नहीं है। यह एक बड़ा पूर्व कोलम्बियाई शहर था जो 5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसे माया लोगो ने बसाया था।

💗 चिचेन इट्जा का अर्थ है “ इट्जा के कुएं के मुहाने पर या मुँह पर”।यहां चि का मतलब “मुँह या मुहाना” तथा चेन का मतलब “कुआं”।

💗 चिचेन इट्जा मेक्सिको में यूकाटन राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है।

💗 यूनेस्को ने 1988 में चिचेन इट्जा को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया।

💗 चिचेन इट्जा में कुकुलकैन मंदिर मुख्य पर्यटक केंद्र है। यह एक पिरामिड नुमा मंदिर है। कुकुलकैन मंदिर के अंदर एक सुरंग है जिसमे एक दूसरा मंदिर भी स्थित है।

💗 द ग्रेट नॉर्थ प्लेटफॉर्म चिचेन इट्जा का सबसे अधिक देखी जाने वाली साइटों में से एक है जिसमे कुकुलकैन मंदिर, ग्रेट बॉल कोर्ट और जगुआर के मंदिर शामिल है।

💗 चिचेन इट्जा में कई साइटे अपनी आवाज के लिए जानी जाती है। यदि आप बॉल कोर्ट के एक छोर से एक बार ताली बजाते है तो यह कोर्ट में नौ गूंज पैदा करता है।

💗 यहाँ पर एक हजार स्तम्भों का समूह भी मौजूद है।

💗 पुरातत्विकों ने चिचेन इट्जा में मेसो अमेरिकन बॉल गेम खेलने के लिए तेरह बोलकोर्टस की पहचान की है।


क्राइस्ट द रिडीमर 


'क्राइस्ट द रिडीमर' जीसस क्राइस्ट की मूर्ति का नाम है। यह मूर्ति ब्राजील के रियो डी जेनेरो में कार्कोवैडो पर्वत की चोटी पर स्थित है। यह करीब 32 मीटर ऊंची है और इस मूर्ति का वजन 700 टन है। अपने इन्हीं क्वालिटी के कारण इसे सात अजूबों में से तीसरे स्थान पर रखा गया है।

💗 यीशु मसीह को “रिडीमर” भी कहा जाता है जिसका मतलब होता है “उद्धारक”।

💗 पुर्तगाली क्रिस्टो रिंडेटोर शिखर पर यीशु मसीह की विशाल प्रतिमा माउंट कोर्कोवाडो, रियो डिजनेरियो दक्षिणी पूर्वी ब्राजील में स्थित है।

💗 क्राइस्ट रिडीमर को ब्राजीलियाई ईसाई धर्म के प्रतीक के रूप में बनाया गया था। 1850 में, एक धार्मिक स्मारक बनाने का विचार पहली बार एक कैथोलिक पुजारी ने सुझाया था। लेकिन 1920 में एक समूह ने एक लैंडमार्क प्रतिमा बनाने के लिए समर्थन के लिए याचिका दायर की थी तब जाकर इनका निर्माण शुरू हुआ।

💗 इसका निर्माण 1931में पूरा हुआ।  यह 98 फीट (30 मीटर ) ऊंची है। इसकी भुजायें 92 फीट (28 मीटर) फैली हुई है।

💗 यह एक फ्रांसीसी मूर्तिकार पॉल लेंडोस्की द्वारा निर्मित है।

💗 इसका वजन 635 मीट्रिक टन है। इसका निर्माण आरसीसी तथा साबुन के पत्थर से किया गया है।

💗 10 फरवरी 2008 को मूर्ति के ऊपर बिजली गिरी जिससे अंगुलियों, सिर तथा भौहो कुछ को नुकसान हुआ। तथा 17 जनवरी 2014 को फिर से दाहिने हाथ की एक अंगुली को अलग करते हुए बिजली ने फिर से इसे क्षतिग्रस्त कर दिया जिसे बाद में रिपेयर किया गया।


कोलोसियम


कोलोसियम एक विशाल स्टेडियम है। 70वीं सदी में सम्राट वेस्पेसियन ने इसका निर्माण शुरू करवाया था। इस स्टेडियम के लिए ऐसा कहा जाता है कि यहां 50 हजार लोग, जंगली जानवरों और गुलामों के बीच खूनी लड़ाई का खेल देखते थे। स्टेडियम की वास्तुकला इस कदर बनाई गई है, जिसकी नकल करना असंभव नहीं है और यही कारण है कि यह सात अजूबों में से चौथे स्थान पर है।

💗 यह एक अंडाकार रंगमंच (अखाड़ा) है जो इटली देश के रोमशहर में स्थित है।

💗 इसका निर्माण 72 ईसा पूर्व सम्राट वेस्पासियन के शासन काल में शुरू हुआ था और उसके वारिस टाइटस के शासन में 80 ईसा पूर्व में पूरा हुआ।

💗 मोर्टार(सीमेंट और बजरी का मिक्सचर) के उपयोग के बिना कोलोसियम को ट्रेवर्टीन पत्थर और तुफा से बनाया गया था। कोलोसियम का उन्नत आंतरिक डिजाइन भीड़ और पशु नियंत्रण दोनों के अनुरूप था।

💗 एक अनुमान के मुताबिक इसमें 50000 से 80000 दर्शक बैठ सकते है।

💗 इसका उपयोग 100 दिनों तक चलने वाली प्रतियोगिताओं के लिए होता था। इसमें विभिन्न पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटक, मॉक समुद्री लड़ाई, विभिन्न जंगली जानवरों की लड़ाई जैसे स्टैग, ऑरोच, मगरमच्छ और यहाँ तक ​​कि शुतुरमुर्ग जैसे विदेशी नमूने शामिल थे।

💗 कोलोसियम में समाज के विभिन्न वर्गो के अनुसार बैठने की अलग-अलग व्यवस्था थी।

💗 मध्य युग के दौरान, कोलोसियम को एक महल, एक कब्रिस्तान और एक आवास परिसर के रूप में भी काम में लिया गया था।

💗 ऐसी मान्यता हैकी जब दुनिया में किसी को भी मौत की सजा सुनाई जाती है, तो कोलोसियम अपना रंग बदलता है।

💗 भूकंप तथा बिजली गिरने के कारण यह आंशिक रूप से नष्ट हो गया है।


चीन की दीवार


चीन की दीवार भी सात अजूबों में शामिल है। चीन की उत्तरी सीमा पर बनाई गई यह दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार है, जो मानव निर्मित है। यह दीवार करीब 6500 किलोमीटर लंबी है और इसकी ऊंचाई 35 फीट है। दुनिया की सबसे लंबी दीवार चीन को सुरक्षा देती है। यही कारण है कि दुनिया के सात अजूबों में इसे पांचवें स्थान पर रखा गया है।

💗 बहुत से लोग सोचते है कि चीन की दीवार का निर्माण एक ही बार में किया गया था लेकिन ऐसा नहीं है। यह छोटी-बड़ी दीवारों का समूह हैजो कि अलग-अलग राजाओं के समय बनाई गई थी। जिन्हें बाद में एक साथ जोड़ दिया गया था।

💗 यह राज्य “चू” था जिसने पहली बार दीवार का निर्माण किया था। आक्रमणकारियों के आक्रमणों से बचाव के लिए, सम्राट किन शी हुआंगने सभी दीवारों को मिला दिया था। इस प्रकार यह महान दीवार अस्तित्व में आई।

💗 दीवार निर्माण में पत्थर, लकड़ी तथा बाद में ईंटो का उपयोग किया गया था।

💗 आज जो चीन की दीवार है उसमें से अधिकांश 5,500 मील की दूरी वर्ष 1368 से 1644 के बीच मिंग राजवंश के दौरान बनाई गई था। ट्रैवल चाइना गाइड के अनुसार करीब 20 राज्यों और राजवंशोंने चीन की महान दीवार के निर्माण में योगदान दिया।

💗 वर्तमान में जो चीन की दीवार है उसको बनने में करीब 200 वर्ष का समय लगा।

💗 चीन की महान दीवार को “पृथ्वी पर सबसे लंबा कब्रिस्तान”कहा जाता था। कथित तौर पर, दस लाख से अधिक लोगों ने अपना जीवन इस दीवार के निर्माण के दौरान गवा दिया।

💗 ये दीवार बनाने का मुख्य उद्देश्य रक्षा तथा सीमा नियंत्रण था।

💗 पुरातात्विक सर्वेक्षण में ज्ञात हुआ है कि चीन की दीवार की कुल लम्बाई 21196 km या 13170 मील है।

💗 हालांकि, इतिहास में बहुत बार छापेमारी के खिलाफ महान दीवार दुश्मनों को रोकने में विफल रही, जिसमें 1644 भी शामिल था, जब मांचू किंग ने शांहई दर्रे के फाटकों के माध्यम से मार्च किया।


माचू पिच्चू


माचू पिच्चू नाम का एक शहर है, जो काफी ऊंचाई पर बसा है। दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में जमीन से 2430 फीट ऊंचाई पर यह शहर बसा है। इसे 15वीं शताब्दी में बसाया गया था। एंडीज पर्वतों के बीच बसा यह शहर इंका सभ्यता का प्रतीक है और इसी कारण से यह दुनिया के सात अजूबों में छठें स्थान पर है।

💗 माचू का मतलब “पुराना” तथा पिचू का मतलब “कोका का चबाया हुआ भाग” या “पिरामिड” होता है।

💗 माचू पिचू 15 वीं शताब्दी का एक गढ़ है जो कि दक्षिणी पेरूके पूर्वी कॉर्डिलेरा में स्थित है। यह एक पहाड़ी पर  स्थित है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2430 मीटर है आश्चर्य की बात यह है कि इतनी ऊंचाई पर लोग अपना जीवन-यापन कैसे करते थे।

💗 द लार्स वे के द्वारा माचू पिचू घूमने के लिए जाने वाले पर्यटको को ऊपर तक पहुंचने में 3 से 5 दिन का समय लगता है।

💗 हीराम बिंघमजो कि येल यूनिवर्सिटी में व्यख्याता थे, 1911 वह एक अलग शहर की तलाश कर रहे थे, जिसे विलबाम्बा के नाम से जाना जाता है। लेकिन उन्होंने गलती से माचू पिचू को खोज लिया।

💗 यूनेस्को ने 1983 माचू पिचू को एक विश्व धरोहर घोषित किया।

💗 पेरू एक अत्यन्त भूकंप संवेदनशील देशहै लेकिन माचू पिचू की इमारते इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना है। इमारतों के पत्थर को इस प्रकार से काट कर पास-पास रखा गया है कि भूकंप आने पर ये अपने स्थान से उछल कर पुनः उसी जगह पर सेट हो जाती है।

💗 माचू पिचू में बहुत अधिक वर्षा होती थी इसलिए पानी निकासी की उत्तम व्यवस्था थी। लोग अपने घरों की छत्तो पर खेती करते थे।

💗 समय की गणना यहां उपस्थित इंतिहुअतानानाम के पत्थर से कि जाती थी।

💗 यहाँ आने वाले पर्यटको कि ऊंचाई की बीमारी, बाढ़ और लंबी पैदल यात्रा के कारण मौत हो जाती है। इसलिए यूनेस्को ने माचू पिचू को डेंजर विश्व धरोहर कि  सूची में डालने का विचार कर रहा है।

💗 माचू पिचू को लेकर बहुत से वीडियो गेमभी बनाये गए है।


‘पेट्रा’


पेत्रा एक ऐतिहासिक शहर है, जो पश्चिमी एशिया के जॉर्डन में स्थित है। यह शहर लाल बलुआ पत्थरों से बनी इमारतों के लिए बहुत फेमस है। यहां मौजूद इमारतों में 138 फुट ऊंचा मंदिर, ओपन स्टेडियम, नहर तालाब आदि खास इमारतें शामिल हैं। इन इमारतों की दीवारों पर बेहद खास और खूबसूरत नक्काशी हुई है, जिसके कारण इसे सात दुनिया के सात अजूबों में आखिरी स्थान पर जगह मिल पाई।

💗 पेट्रा दक्षिणी जॉर्डन में एक ऐतिहासिक तथा पुरातात्त्विक शहर है। माना जाता है कि इसे 900 ईसा पूर्व में बसाया गया था।

💗 पेट्रा को ‘लॉस्ट सिटी’ भी कहा जाता है। क्योंकि लगभग पाँच शताब्दियों के लिए पेट्रा बाहरी दुनिया के लिए छुपा हुआ था। इसलिए इसे ‘लॉस्ट सिटी’ कहा जाता है।

💗 1812 में ‘जोहान लुडविग बर्कहार्ट’ नाम के एक स्विस खोजकर्ता ने इसकी फिर से खोज की।

💗 पेट्रा शहर चट्टानी पत्थर को काट कर बसाया गया है। इसके पत्थर के रंग के कारण इसे रोज सिटीभी कहा जाता है।

💗 ईसा पूर्व पहली शताब्दी के दौरान, पेट्रा को 20,000 से 30,000 लोगों का घर माना जाता था और यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर था।

💗 दिसंबर 1985 को पेट्रा को विश्व विरासत स्थल नामित किया गया था।

💗 पेट्रा अपने 800 व्यक्तिगत स्मारकों के लिए अधिक लोकप्रिय है जिसमें इमारतें, मकबरे, स्नानागार, मजेदार हॉल, मंदिर, मेहराबदार प्रवेश द्वार और कॉलोनडेड गलियाँ शामिल हैं, जो कि ज्यादातर केलीडोस्कोपिक बलुआ पत्थर से उकेरी गई थीं। दुनिया के सबसे पुराने महानगरों में से एक है। खुले आसमान के नीचे एक रोमन शैली का थिएटर जिसमे 3000 लोग बैठ सकते थे।

💗 पेट्रा शहर में प्रवेश एक सीकके माध्यम से होता है जिसकी लम्बाई 1 किलोमीटर है जो कि दोनो तरफ 80 मीटर ऊंची चट्टान के बीच में से लहराता हुआ जाता है।


स्टेच्यू ऑफ यूनिटी


दुनिया भर की सात अजूबों में भारत का ताजमहल शामिल है। अब शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को विश्व के आठवें अजूबे में शामिल कर लिया है। महज सवा साल में ही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर 31.09 लाख पर्यटकों ने मुलाकात ली है। जिससे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को कुल 79.94 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। गुजरात के केवड़िया स्थित हिंदुस्तान को एकता के सूत्र में पिरोने वाले देश के प्रथम गृहमंत्री तथा उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के स्मारक “स्टेच्यू ऑफ यूनिटी” की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

💗 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। 

💗 गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। 

💗 यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है।

💗 यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है। इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है, जिसकी आधार के साथ कुल ऊंचाई 208 मीटर (682 फीट) हैं।[

💗 प्रारम्भ में इस परियोजना की कुल लागत भारत सरकार द्वारा लगभग ₹3,000 करोड़ (US$438 मिलियन) रखी गयी थी, बाद में लार्सन एंड टूब्रो ने अक्टूबर 2014 में सबसे कम ₹2,989 करोड़ (US$436.39 मिलियन) की बोली लगाई; जिसमें आकृति, निर्माण तथा रखरखाव शामिल था। निर्माण कार्य का प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ। मूर्ति का निर्माण कार्य मध्य अक्टूबर 2018 में समाप्त हो गया।

💗 इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर किया गया।