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एक राष्ट्र एक राशन कार्ड

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड : One Nation One Ration Card  (ONORC) 



1.चर्चा में क्यों
2.वन नेशन वन राशन कार्ड" योजना क्या है
3.एक देश एक राशन कार्ड की विशेषताएँ
4.एक देश, एक राशन कार्ड योजना के लाभ
5.योजना का महत्त्व
6.ONORC से प्रवासियों को लाभ
7.राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
7.1 खाद्य सुरक्षा अधिनियम का आकलन एवं इसमें निहित समस्याएँ
8.एक देश एक राशनकार्ड की चुनौतियां
9.सुझाव


चर्चा में क्यों?

⭐️ सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को दिए एक आदेश में केंद्र से कहा है कि वह चल रहे COVID-19 लॉकडाउन के दौरान ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना को अपनाए। हालांकि इस योजना की आधिकारिक शुरुआत जुलाई में होनी है लेकिन कोरोना संकट के चलते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह सलाह दी है ।

⭐️ संघ सरकार (Central Government) ने वन नेशन वन राशन कार्ड योजना (One Nation One Ration Card) के तहत शुक्रवार ( 2 मई ) को बड़ा ऐलान किया है संघ सरकार (Modi Government) ने देश के पांच और राज्यों को इस योजना से जोड़ दिया है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमन-दीव। अब वन नेशन वन राशन कार्ड योजना का लाभ उठा सकेंगे। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 को कुल 12 राज्यों को आपस में इस योजना से जोड़ा था। अब देश में कुल 17 राज्य हो गए हैं जो इस योजना से आपस में जुड़ जाएंगे।

⭐️ हालांकि केन्द्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) ने 30 जून, 2020 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ (One nation-one ration card) योजना लागू करने की घोषणा की थी।

⭐️ प्रवासियों के लिये यह प्रणाली अत्यंत उपयोगी साबित होगी। इस योजना के लाभों को जानने के लिये मूल्य श्रृंखला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) के कार्यकरण को भी समझना महत्त्वपूर्ण है।


12 राज्यों में पहले से ही लागू है योजना

‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना 1 जून 2020 से शुरू होगी। इस योजना में पुराना राशन कार्ड भी मान्य होगा। देश के 12 राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा में 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' सुविधा की शुरुआत हो चुकी है।


"वन नेशन वन राशन कार्ड" योजना क्या है?

⭐️ इस योजना के तहत सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी (विशेषकर प्रवासी) देश के किसी भी भाग में,खाद्यान्न प्राप्त करने में सक्षम हो पाएंगे।

⭐️ इसके माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का ही फायदा लिया जा सकेगा। यदि कोई राज्य अपने स्तर पर अपने नागरिकों के लिये किसी प्रकार की खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है तो अन्य राज्य के नागरिक इसका फायदा नहीं ले पाएंगे।

⭐️ वर्तमान में आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, तेलंगाना और त्रिपुरा ऐसे 10 राज्‍य हैं, जहाँ खाद्यान्‍न वितरण का 100 प्रतिशत कार्य PoS मशीनों के ज़रिये हो रहा है।

⭐️ इन राज्‍यों में सार्वजनिक वितरण की सभी दुकानों को इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है तथा यहाँ लाभार्थी सार्वजनिक वितरण की किसी भी दुकान से अनाज प्राप्‍त कर सकते हैं ।


एक देश एक राशन कार्ड की विशेषताएँ

⭐️ गरीब प्रवासी मज़दूर इस योजना के अंतर्गत देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से राशन प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि इसके लिये राशन कार्ड का आधार से लिंक होना आवश्यक है।

⭐️ प्रवासी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे, इसमें 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल तथा 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेंहूँ शामिल है।

⭐️ इस स्कीम को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्यों से वंचित न रहे।

⭐️ यह स्कीम 77 प्रतिशत राशन की दुकानों (FPS) में क्रियान्वित की जा सकती है, जहाँ पहले से ही POS मशीन (Point of Shale) उपलब्ध है, साथ ही यह स्कीम उन 85 प्रतिशत लाभार्थियों को भी कवर करेगी जो NFSA के अंतर्गत आते हैं एवं उनके राशन कार्ड आधार से लिंक हैं।

⭐️ शेष लाभार्थियों के मामले में सभी राज्यों को राशन की दुकानों में PoS मशीनों का उपयोग करने और योजना को लागू करने हेतु एक वर्ष का अतिरिक्त समय दिया गया है।


एक देश, एक राशन कार्ड योजना के लाभ

⭐️ इस योजना के अंतर्गत प्रवासी मजदूरों को लाभ प्राप्त होगा। जो गरीब है और रोजगार की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर अवसर खोजते रहते है।

⭐️ सभी लाभार्थी इस एक देश, एक राशन कार्ड योजना के तहत अपना राशन किसी भी राज्य की पीडीएस राशन केंद्र से लेने में पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहेंगे।

⭐️ राशन के किसी भी केंद्र पर जाकर इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। किसी एक केंद्र से राशन प्राप्त करने की बाध्यता नही होगी। इससे किसी एक ही राशन के विक्रेता पर ही सारा भार नही पड़ेगा।

⭐️ देश के कई राज्यों में पीडीएस प्रणाली के एकीकृत प्रबंधन की शुरुआत बड़ी तेजी से सरकार द्वारा कर दी गयी है जिसके अंतर्गत आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, तेलंगाना और साथ ही त्रिपुरा जैसे राज्य सम्मिलित है।

⭐️ इस एक देश, एक राशन कार्ड योजना को केंद्र सरकार समय रहते ही पूरे देश के विभिन्न राज्यो में स्थापित करना चाहती है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस योजना का लाभ उठा सकें।

⭐️ खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग इस योजना को बढ़ावा देते हुए बड़े स्तर पर काम कर रहे है ताकि अगले माह तक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लाभार्थी भी एक देश, एक राशन कार्ड योजना का पीडीएस की दुकानों से तथा कथित लाभ उठा सके।

⭐️ एक देश, एक राशन कार्ड योजना के तहत भ्रष्टाचार के किस्से कम होंगे और हर उपभोक्ता अपने राशन कार्ड की मदद से अन्न को किसी भी पीडीएस की दुकानों से पारदर्शिता व बड़ी ही आसानी से खरीद सकेगा।

⭐️ खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग एक देश, एक राशन कार्ड योजना के तहत सभी कार्य उद्देश्य पूर्वक संपन्न कर रहे है।


योजना का महत्त्व

⭐️ इस योजना के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को एक कार्ड से पूरे देश में कहीं भी राशन उपलब्ध हो सकेगा तथा राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सभी लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

⭐️ इस योजना से गरीब, मज़दूर और ऐसे लोग लाभांवित होंगे जो जीविका, रोज़गार या किसी अन्य कारण से एक राज्य से दूसरे राज्य प्रवास करते हैं।

⭐️ इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने के लिये एक से अधिक राशन कार्ड रखने वालों पर रोक लगाना है।


ONORC से प्रवासियों को लाभ

⭐️ ONORC प्रणाली प्रवासियों के प्रति उत्तरदायित्व से संबंधित है। लाभार्थियों की पहचान करने के कार्य में भारी लागत आती है और इसमें समावेशन तथा अपवर्जन की कई त्रुटियाँ मौजूद रहती है। यदि कोई प्रवासी परिवार अपना निवास स्थान बदलता है तो पुनः पात्र बनने के लिये उसे अत्यधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता। चूँकि एक प्रवासी के रूप में उसकी सौदेबाजी की शक्ति कम होती है, इसीलिये प्रवासी परिवारों के लिये मुश्किलें सामान्यतः अत्यधिक होती हैं।

⭐️ ONORC प्रणाली फर्ज़ी राशन कार्ड की समस्या और पात्रता संबंधी सर्वेक्षण लागत में वृद्धि को समाप्त कर उन्हें लाभान्वित करेगी।

⭐️ चूँकि भारत में आंशिक प्रवासन एक सामान्य परिदृश्य बन चुका है, यदि ONORC के तहत प्रत्येक सदस्य के हिस्से का राशन किसी भी स्थान से प्राप्त करने का प्रावधान कर दिया जाए तो यह परिवारों को और अधिक लाभ पहुँचा सकता है। इससे प्रवासी सदस्य अन्यत्र भी अनाज ग्रहण कर सकेंगे, जबकि उनका परिवार अपने ग्राम में अपने हिस्से का राशन प्राप्त कर सकता है।

⭐️ राशन का वितरण स्थानीय स्तर पर उचित मूल्य की दुकानों (Fair Price Shop) द्वारा किया जाता है। एक अध्ययन में तीन राज्यों - बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों ने डीलरों द्वारा भेदभाव की शिकायत की। यह भेदभाव विशेष रूप से महिलाओं के विरुद्ध और गुणवत्तायुक्त सेवाएँ प्रदान करने के संदर्भ में नज़र आता है। ONORC लाभार्थियों को अपने पसंद के ड़ीलर को चुनने का अवसर देगा। यदि कोई ड़ीलर बुरा व्यवहार करता है या राशन के आवंटन में गड़बड़ी करता है तो लाभार्थी तुरंत किसी अन्य FPS की सेवा ले सकता है।

⭐️ ONORC महिलाओं एवं अन्य वंचित समूहों के लिये विशेष लाभप्रद होगा क्योंकि PDS तक पहुँच में सामाजिक पहचान (जाति, वर्ग और लिंग) तथा अन्य प्रासंगिक कारक (शक्ति संबंध आदि) प्रभावकारी बाधा पहुँचाते रहे हैं। अध्ययन से प्रतीत होता है कि स्थानीय जातिगत भेदभाव और सामाजिक संबंधों की जटिलता सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुँच में प्रमुख निर्धारक कारक होते हैं। सार्वभौमिक अधिकार के बावजूद राशन कार्ड के ऊपर नियंत्रण महिलाओं, निम्न जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के विरुद्ध भेदभाव का एक मज़बूत साधन बन जाता है।

⭐️ इसके अतिरिक्त कमजोर समूहों के लिये सेवाओं की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से निम्न प्रकृति की होती है जहाँ सूचना की कमी, खराब अनाज एवं मिलावट, लंबी प्रतीक्षा अवधि आदि के रूप में भेदभाव के विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं और कई बार अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित भी किया जाता है। इसके साथ ही इन परिवारों के अधिकारों का हनन किया जाता है जैसे उन्हें निर्धारित मात्रा व गुणवत्ता का अनाज न मिलना या अधिक मूल्य चुकाना आदि।

⭐️ सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से सुधार लाने की आवश्यकता है। ‘'एक देश-एक राशन कार्ड'’ योजना सौदेबाजी की शक्ति को ड़ीलर से लाभार्थी की ओर मोड़ सकती है। ONORC लाभार्थियों को उन PDS दुकानों को चुनने का अवसर देगा जो बेहतर सेवा सुनिश्चित करते हैं।


राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013

⭐️ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्‍यादेश एक ऐतिहासिक पहल है जिसके ज़रिये जनता को पोषण खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास ज़ोर गरीब-से-गरीब व्‍यक्ति, महिलाओं और बच्‍चों की जरूरतें पूरी करने पर है।

⭐️ इस विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र की भी व्‍यवस्‍था है। अगर कोई जनसेवक या अधिकृत व्‍यक्ति इसका अनुपालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ शिकायत कर सुनवाई का प्रावधान किया गया है।

⭐️ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो. गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलो. चावल देने की व्यवस्था की गई है। इस कानून के तहत व्यवस्था है कि लाभार्थियों को उनके लिये निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया।

⭐️ समाज के अति निर्धन वर्ग के हर परिवार को हर महीने अंत्‍योदय अन्‍न योजना में इस कानून के तहत सब्सिडी दरों पर यानी तीन रुपए, दो रुपए, एक रुपए प्रति किलो. क्रमशः चावल, गेहूँ और मोटा अनाज मिल रहा है।

⭐️ पूरे देश में इस कानून के लागू होने के बाद 81.34 करोड़ लोगों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल दिया जा रहा है।


खाद्य सुरक्षा अधिनियम का आकलन एवं इसमें निहित समस्याएँ

⭐️ आश्चर्यजनक रूप से एनएफएसए भोजन के सार्वभौमिक अधिकार की गारंटी नहीं देता है। इसके बजाए यह कुछ मानदंडों के आधार पर पहचाने गए लोगों के लिये भोजन के अधिकार को सीमित करता है।

⭐️ साथ ही, इसके अंतर्गत यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि यह अधिनियम "युद्ध, बाढ़, सूखा, आग, चक्रवात या भूकंप" की स्थिति में लागू नहीं होगा (विशेष रूप से, यह केंद्र सरकार के अनुमोदन के अंतर्गत आता है कि वह ऐसी किसी स्थिति के होने की घोषणा करे)।

⭐️ उपरोक्त परिस्थितियों में भोजन का अधिकार सबसे अधिक मूल्यवान हो जाता है, यह संदिग्ध प्रतीत होता है कि यह अधिनियम उस अधिकार की गारंटी देने में प्रभावी है या नहीं।

⭐️ एनएफएसए का एक और समस्याग्रस्त पहलू यह है कि इसके अंतर्गत कुछ ऐसे उद्देश्यों को शामिल किया गया है जिनके संबंध में प्रगतिशील रूप से कार्य किया जाना चाहिये। 

⭐️ इन उद्देश्यों अथवा प्रावधानों में कृषि सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और विकेंद्रीकृत खरीद को शामिल किया गया है, लेकिन इन उद्देश्यों अथवा प्रावधानों में हमारी कृषि प्रणालियों के बारे में मौलिक धारणाओं पर पुनर्विचार करने और खाद्य सुरक्षा को अधिक व्यापक तरीके से देखने की आवश्यकता का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

ONORC की  चुनौतियाँ

⭐️ सबसे बड़ी समस्या ऐसे गरीब परिवारों के डेटा से संबंधित है, जो अंतःराज्यीय एवं अंतर-राज्यीय प्रवास करते हैं।

⭐️ विभिन्न राज्यों में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये उस राज्य का निवासी होना एक पूर्व शर्त होती है। यदि इस योजना को लागू करना है तो उपर्युक्त नीति में संशोधन की आवश्यकता होगी। 

⭐️ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के रूप में परिभाषित करता है। इसलिये, गरीब प्रवासी परिवारों के लिये एकीकृत बाल विकास सेवाओं, मिड-डे मील, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं को उपेक्षित नहीं किया जा सकता है, अनाज की उपलब्धता के साथ ही गरीब प्रवासियों को उपर्युक्त सेवाएँ भी उपलब्ध कराना आवश्यक है।

⭐️ ONORC आधार कार्ड तथा राशन कार्ड के डिजिटलीकरण पर आधारित है। इसमें एक समस्या है कि यदि कोई व्यक्ति अकेले अथवा कुछ सदस्यों के बिना प्रवास करता है तो हो सकता है कि वे इस स्कीम का लाभ प्राप्त करने में सक्षम न हों।

⭐️ राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) में इस प्रकार का प्रावधान किया गया है कि आंशिक प्रवासी परिवारों (परिवार के कुछ सदस्य प्रवासी) को भी लाभ प्राप्त हो सके। सरकार RSBY योजना के उपर्युक्त प्रावधान को PDS में भी लागू करने पर विचार कर सकती है।

⭐️ कामगार प्रवासियों को सुगम खाद्य आपूर्ति में आधार तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण भी एक बाधा उत्पन्न कर सकती है।

⭐️ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिये हर राज्य के अपने नियम हैं। यदि ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड ’योजना लागू की जाती है, तो यह योजना पहले से ही दूषित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा देगी।

⭐️ कुछ राज्यों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह संघवाद के खिलाफ है।

⭐️ इससे लागत बढ़ने की संभावना है।

⭐️ राशन की दुकानों पर अधिक भीड़ के कारण स्टॉक ख़त्म हो सकता है तथा लाभार्थियों को परेशानी हो सकती है।


सुझाव

⭐️ खाद्यानों की खरीद के समय से लेकर इसके वितरण तक सूचना प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल पर फोकस किया गया है जो इसकी पारदर्शिता को बनाए रखते हुए एवं भ्रष्‍टाचार पर अंकुश लगाकर पूरी प्रक्रिया की समग्र दक्षता को बढ़ाने में मदद करेगा।

⭐️ यह आवश्‍यक है कि FCI और राज्‍यों के बीच ऑनलाइन सूचना का निर्बाधित प्रवाह हो और इसलिये उन्‍हें समेकित किये जाने की आवश्‍यकता है जिससे कि पूरे देश में खरीद एवं वितरण पर सटीक सूचना उपलब्‍ध हो।

⭐️ ऐसी सभी गुणात्‍मक एवं मात्रात्‍मक सूचना के भण्‍डारण के लिये एक प्रणाली बनाई जानी चाहिये, जिसे ‘अन्‍नवितरण’ पोर्टल एवं विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डैश बोर्डों के ज़रिये ए‍क्‍सेस किया जा सकें।

⭐️ निश्चय ही राज्य हस्तांतरण के माध्यम से खाद्य तक पहुँच के लिये शक्ति संबंध में बदलाव और संरचनात्मक विशेषताओं में परिवर्तन की आवश्यकता होगी, जिनमें असमान सामाजिक संबंधों को चुनौती देना, उन पर पुनर्विचार करना और उन्हें रूपांतरित करना शामिल है।

⭐️ इसके साथ ही उबर / ओला जैसी प्रणालियों के अनुभवों के आधार पर PDS को एक रेटिंग प्रणाली से संयुक्त किया जा सकता है जहाँ निगरानी और नियंत्रण के माध्यम से सरकार इसे बेहतर बना सकती है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले डीलरों को पुरस्कृत किया जा सकता है। लेकिन इस प्रणाली की सफलता के लिये आवश्यक है कि एप-आधारित कैब की तरह ही एक एकीकृत संरचना मौजूद हो।

⭐️ ONORC के साथ ही डिजिटलीकरण का विस्तार प्रणाली को और अधिक लाभप्रद और स्व-संशोधनकारी बनाएगा।

⭐️ 'एक देश-एक राशन कार्ड' में परिणामों में सुधार लाने की क्षमता है, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिये, साथ ही किसी भी वितरण तंत्र की तरह प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये संपूर्ण मूल्य श्रृंखला पर गहन निगरानी रखने और इसे अवसंरचनात्मक समर्थन देने की आवश्यकता है।
PDS दुकानों पर पॉइंट ऑफ़ सेल (PoS) प्रणाली की उपलब्धता और इसके कार्यकरण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लाभार्थियों के हक से कोई समझौता न हो।


पॉइंट ऑफ सेल (Point of Sale)


⭐️ पॉइंट ऑफ सेल / बिक्री का एक बिंदु । वह स्थान है, जहाँ ग्राहक द्वारा वस्तुओं या सेवाओं हेतु भुगतान किया जाता है। यहाँ पर बिक्री कर भी देय हो सकते हैं।

⭐️ यह कोई बाह्य स्टोर हो सकता है जहाँ पर भुगतान के लिये कार्ड पेमेंट या वर्चुअल सेल्स पॉइंट, जैसे- कंप्यूटर या मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है।


डिपो ऑनलाइन सिस्टम

⭐️ FCI के संचालन के प्रबंधन हेतु डिपो / गोदाम है जिसमें अनाजों का भंडारण किया जाता है।

⭐️ डिपो ऑनलाइन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत में खाद्य वितरण आपूर्ति शृंखला को परिवर्तन के लिये 'डिजिटल इंडिया' की दृष्टि से संरेखित करना है।


निष्कर्ष

भारत को आज़ादी की विरासत में कई चुनौतियाँ प्राप्त हुई थीं, इनमें से एक प्रमुख समस्या भूखी एवं गरीब आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की थी। इसको ध्यान में रखकर 60 के दशक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को लागू किया गया ताकि सस्ते दामों पर लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके। इस क्षेत्र में विभिन्न बदलावों की कड़ी के रूप में वर्ष 1997 में लक्षित PDS (Targeted-PDS) कार्यक्रम को लॉन्च किया गया। लेकिन इतने वर्षों में विकास एवं अन्य कारकों ने देश में प्रवास की गति को तीव्र किया है, साथ ही यह प्रवास मुख्य रूप से गरीबों द्वारा काम की तलाश में किया जाता रहा है जिसके ऐसे परिवारों एवं लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हो गई। इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार ने 'एक देश-एक राशन कार्ड' योजना को क्रियान्वित करने की नीति को सार्वजनिक किया है। हालाँकि इस कार्यक्रम में कुछ चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। यदि इस कार्यक्रम को कुशल रणनीति से लागू किया जाता है तो निश्चय ही यह समाज के सबसे गरीब एवं हाशिये पर स्थित वर्ग के पोषण स्तर को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।