Chinese city sounds alert for bubonic plague
दुनिया अभी कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रकोप से मुक्त भी नहीं हो पाई है और चीन से एक और खतरे का अलर्ट जारी हो गया है। उत्तरी चीन के एक शहर में 05 जुलाई 2020 को ब्यूबोनिक प्लेग का संदिग्ध मामला सामने आया है। इसके बाद अलर्ट जारी किया गया है। इसे ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है।
अब एक बार फिर चीन से एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी फैलने का खतरा है। चीन के सरकारी पीपल्स डेली ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार आंतरिक मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र, बयन्नुर शहर में ब्यूबोनिक प्लेग को लेकर 05 जुलाई को एक चेतावनी जारी की गई। बयन्नुर में ब्यूबोनिक प्लेग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए लेवल थ्री की चेतावनी जारी की गई है।
तीसरे स्तर की चेतावनी जारी
सरकारी पीपुल्स डेली ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, आंतरिक मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र, बयन्नुर ने प्लेग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तीसरे स्तर की चेतावनी जारी की। स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकार ने कहा कि इस समय इस शहर में मानव प्लेग महामारी फैलने का खतरा है।
ब्यूबोनिक प्लेग क्या है?
ब्यूबोनिक प्लेग एक अत्यधिक संक्रामक और घातक बीमारी है जो ज्यादातर रोडेंट्स (Rodents) से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार यह बीमारी बैक्टीरिया यर्सिनिया पेस्टिस के कारण होती है, जो आम तौर पर छोटे स्तनधारियों और उनके पिस्सू में पाए जाने वाले एक जूनोटिक जीवाणु होते हैं। इसमें रोग के लक्षण एक से सात दिनों के बाद दिखाई देते हैं। यह बीमारी आमतौर पर पिस्सू के काटने से फैलती है जो चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे संक्रमित जीवों पर भोजन के लिए निर्भर करता है।
ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षणों में अचानक बुखार आना, ठंड लगना, सिर और शरीर में दर्द और कमजोरी, उल्टी और मतली जैसे लक्षण शामिल हैं। शरीर में एक या कई जगहों पर सूजन आ जाती है।
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी
ब्यूबोनिक प्लेग का यह केस बयन्नुर के एक अस्पताल में 04 जुलाई 2020 को सामने आया। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने यह चेतावनी 2020 के अंत तक के लिए जारी की है। यह बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है। इस बैक्टीरिया का नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम है। यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों पर हमला करता है. इससे उंगलियां काली पड़कर सड़ने लगती है। नाक के साथ भी ऐसा ही होता है।
ब्यूबोनिक प्लेग कितना घातक है?
मध्य युग में ब्यूबोनिक प्लेग महामारी, जिसे 'ब्लैक डेथ' भी कहा जाता है। इसने यूरोप की आधी से अधिक आबादी का सफाया कर दिया था। हालांकि, एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता के साथ बीमारी का अब काफी हद तक इलाज हो सकता है।
यह बीमारी पहले भी आ चुका है
इस बीमारी ने पहले भी पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मारा है। इस जानलेवा बीमारी का दुनिया में तीन बार हमला हो चुका है। यह बीमारी पहली बार 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरो की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी। इस बीमारी को ब्लैक डेथ या काली मौत भी कहते हैं। विश्वभर में ब्यूबोनिक प्लेग के साल 2010 से साल 2015 के बीच लगभग 3248 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें से 584 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सालों में ज्यादातर मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, मैडागास्कर, पेरू में आए थे। इससे पहले साल 1970 से लेकर साल 1980 तक इस बीमारी को चीन, भारत, रूस, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया गया है।
ब्यूबोनिक प्लेग का दूसरा हमला दुनिया पर 1347 में हुआ था। तब इसे नाम दिया ब्लैक डेथ (Black Death) गया था। इस दौरान इसने यूरोप की एक तिहाई आबादी को खत्म कर दिया था. ब्यूबोनिक प्लेग का तीसरा हमला दुनिया पर 1894 के आसपास हुआ था। तब इसने लगभग 80 हजार लोगों को मारा था। इसका ज्यादातर असर हॉन्गकॉन्ग के आसपास देखने को मिला था। भारत में साल 1994 में पांच राज्यों में ब्यूबोनिक प्लेग के करीब 700 केस सामने आए थे।